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क्या हमने कभी महसूस किया है की हम हमारे देश के बच्चो के प्रति कितने जिम्मेदार है,गौरतलब है कि हम देश के बच्चो के प्रति कितना स्नेह भाव रखते है। और दूसरो के बच्चों के प्रति कितना स्नेह रखते। क्यों की जब जब हिंदुस्तान में समानता की बात की जाती है ,तो हम कभी कानून के सामने समानता ,कभी न्यायालयों में तो कभी समाज में समानता की बात करते है ,इस से पता चलता है के हम आज कितना स्वार्थी हो गए है 14 नवंबर बाल दिवस पर हमने स्कूलों में कालजो में भले ही ये दिन मनाया होगा पर क्या फ़ायदा ,जब हम बच्चों में इतना भेदभाव कर रहे है पर इन्सानियत केवल अपने बच्चो या पड़ोसी और रिश्तेदारो के बच्चो को प्यार करने से नहीं है। बल्कि सच्चे ईमानदार और स्नेही हम तब है जब हम देश की सड़कों पर ,गलीओ में काम करते बच्चो के प्रति ,लोगो के घरों में झाड़ू पोचा लगाते बच्चो के प्रति सवेंदनशील और निषभाव है।
देश में हर वर्ष बाल दिवस तथा पंडित जवाहर लाल नहेरु जी को याद करते वक्त शायद हम भूल जाते है कि किसी महापुरष को याद करना ठीक है ,लेकिन जब तक इस दिन हम हमारे महापुरषों के उदेश्यों को जान नहीं लेते और उन पर अमल नहीं करते तो यह दिन केवल उस सामान्य दिन की तरह ही बन कर रहे जाएगा ,जो आम दिन होते है। जब एक तरफ हम बच्चो के कल्याण की बात करते है ,तो दूसरी और आज भी देश की आजादी के बाद देश के बच्चो को उनकी स्वतंत्रता नहीं मिल रही। आज भी वो स्वतंत्रता से वंचित है,और आज भी उनके साथ हिंसा, बलात्कार और उनको उठा कर ले जाना जैसे घिनौने काम हो रहे है। और सरकार और समाज चुप्पी साधे बैठी है।
आज भी हम देखते है कि छोटे छोटे बच्चे बस स्टैंड ,रेलवे स्टेशन ,मंदिरो और जगह जगह भीख मांगते दिखाई दे रहे है। तो क्या आज हम इस स्थिति से वाकिफ नहीं है। कि बच्चे आने वाले देश के भविष्य है। बाल दिवस मना कर क्या हम उन उदेश्यों को प्राप्त कर सके ,जिसकी कल्पना और कामना पंडित जवाहर लाल नहेरु जी ने की थी। तो क्या हम उनके लिए कुछ नहीं कर सकते,आज के पढ़े -लिखे ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स लोग भी बस स्टैंड पर भीख मांगने वाले गरीब बच्चों को कह देते है कि
''चल चल बाद में आइओ ''
तो क्या हमारे पढ़े लिखे होने का ये ही मतलब है की हम दूसरो को नीचा दिखाए। दूसरी सबसे बड़ी बात ये की बाल मज़दूरी जो कि हमारे भारत में सबसे ज्यादा है। आज भी हम बच्चों को घरों में काम करते देखते है। और उनसे काम करवाने वाला ये समाज ख़ुद है और जब तक समाज में ऐसी कुरीति रहेगी ,देश का भविष्य ऐसे ही सड़को पर कचरा उठाते नज़र आएगा देश का भला कैसे होगा।
तीसरी बार बच्चों के साथ होने वाली ब्लात्कार कि घटनायें ऐसे ही होती रही तो याद रखिएगा ,आप के भी बच्चे है ,ये हमारी ज़िमेदारी है कि हम जागरूक हो। जब जब मेरे सामने ऐसे घटनाएं सामने आती है तो फ़िल्म का एक सीन मेरे सामने आ जाता है जिसमें कोर्ट में रोते हुए एक माँ कहती है। '' चार साल की अबोध कन्या को कैसे साड़ी पहनाऊ ''
और ऐसे घिनोने काम करने वाले इस समाज के वो चन्द लोग है जो अपनी हवस दिखाकर कलयुगी राक्षश बनने का दावा करते है। इन्हें बच्चों में ना तो भगवान् नज़र आता है न उनकी मासूमियत। आज भी गुमराह करके किड्नेप करना आज अपराधिओं की प्राथमिकता बन चुकी है। भले पुलिस और प्रशासन कड़े क़दम उठा रही है पर सफ़ल नहीं हुई। पंजाब के अबोहर शहर की एक घटना कि 12 साल के मासुम बच्चे अरमान को किडनेप कर लिया गया पर पुलिस अभी तक ढूंढ़ने में असफ़ल रही तो क्या ऐसा होता रहेगा ,हम कब तक सहते रहेंगे गौरतलब है की ऐसी घटनाओं को अन्जाम देने वाले लोग नरपक्षी बन गए है। आज ज़रूरत है सख्त से सख्त क़दम उठाने की कड़े क़ानून लाने की। भले आज सरकार बच्चों के लिए पॉस्को एक्ट में बदलाव करें पर आज भी आरोपी को ढूंढ़ने में पूरी तरह से सफ़ल नहीं है। पंडित जवाहर लाल नहरू जी ने बच्चों को फूल की पखुडियो के सामान बताया था पर आज वो पखुड़ियाँ या तो बाल मज़दूरी की चपेट में है या असमानता की या कलयुगी अपराधिओं के मुँह के निवालो की। पर आख़िर कब तक।

16 comments:
Nys mam app Bhoot aacha likhty ho
Mere ko aage bhi eese article ki need h
Bahut achaa article Hai Ji
Bahut achaa article Ha Mam 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
Good
Very nice👌👌👌
Bhot acha good
That's right mam.samaj ko jagrook hona hi perega
Bhahut vadiya hai
But only one person can't do . There should be unity between people to move our nation ahead .
Well it is very good thinking
Well it is very good thinking
Well it is very good thinking
Go beyond your limits And going in the right way is a great compliment.There are very few people who pay attention to society by keeping their difficulties out.I appreciate your sincere step.
Very good Rajni 🥰
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