Thursday, February 20, 2020

MISUNDERSTANDING


                   सबक़  उन गलतफमियों  का 🙏

misunderstanding शब्द देखने में जितना बड़ा लगता है ,ग़ौरतलब है  उसके भीतर छुपी बात बहुत छोटी सी मालुम  पड़ती है।  और इस बात को संक्षेप में वह इंसान ही समझ सकता है ,जिसे लेकर या जिसके बारे में टिका टिप्णी की गई है।  जिंदगी में हर बात को अनुभव से  और महसूस से समझा जा सकता है।  भिन् भिन् लोगो कि अपनी अपनी विचारधारा है।  ये आवश्यक नहीं है ,की हर इंसान की सोचने ,समझने, देखने और महूसस करने की विचारधारा एक जैसी हो।                                 

और आज के वर्तमान समय में चाये वो किसी लड़की या लड़के की आपसी बात हो ,एक अध्यापक का अपने विद्यार्थी के प्रति स्नेह भाव ,या माता पिता का अपने बच्चों के प्रति नज़रिया हो,या कोई भी ऐसी बात जिसका हमे पूर्ण तोर पर कुछ पता नहीं ,ये समस्त बातें और परिस्थितियॉ किसी न किसी प्रकार से हमारे मन में भेद और कही न कहीं गलतफमियां उत्पन करती है।  और हमे ऐसी सोच से बचने की जरूरत है।                                                         मुझे आज  भी याद है ,मेरे पिता जी हमेशा कहते है ,"आपकी ज़िंदगी की यात्रा में पल पल चुनौतियां है "

जिसमे एक चुनौती misunderstanding की विचारधारा पर  काम करती है।  जोकि किसी भी क्षण ,किसी भी परिस्थिति में आ सकती  है ,चाये वो आपके अनुकूल है या नहीं।  जैसे की भारतीय पौराणिक इतिहास में जब सबसे बुरे श्राप की बात की जाती है ,तो वह गौतम ऋषि द्वारा इंद्र को दिए गए श्राप का आता है ,और उसके पश्चात देवी अहिल्या का, जोकि श्राप का पात्र बनी ,और इस स्थिति में जो बात सामंने आई ,वो misunderstanding की विचारधारा पर काम कर रही थी।  देवी अहिल्या का इंद्र से संभोग करना अनुकूल नहीं था ,लेकिन गौतम ऋषि का अहिल्या  को श्राप देना बहुत बड़ी गलतफैमी थी,क्यों जरूरी नहीं होता जो दिखता  है व्ही होता है।  

निष्कर्ष ये निकलता है की हम दुसरो को भावनात्मक आशय से समझते हुए भी  लोगो को इस कदर  चरित्रित करते है ,की वो बिना किसी दोष के लोगो की नज़रो में ग़लत हो जाते है। और ऐसी बाते किसी के दर्द का भी कारण बन जाती है।  और इस लिए  इंसान की इसी मानसिकता और उनके आसमान में उड़ते धूलो जैसे तर्क, वितर्क आज भी मेरे लिए प्रश्न बने हुए है ?.... 

   





 











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